हेलो दोस्तों,आपका StudyDev में स्वागत है। आज हम आपको Conventional and Non conventional Source Of Energy In India के बारे में बताने वाले है। हम आपको दोनों के बारे में जानकारी को देने वाले है कि ऊर्जा का कुदरती साधन है और गैर कुदरती साधन कोनसा है। हम आपको इसके भिन-भिन प्रकार के बारे में और इसके अलग अलग उपयोग को बताने वाले है।
ऊर्जा को हम दो रूप में बयान कर सकते है। एक जो हमें कुदरती रूप से मिलता है और दूसरा मनुष्य निरमत है। आपको बतादें कि हम लोग बिना एनर्जी के नहीं रह सकते है। इसके लिए हमें बहुत सारी ताकत की जरूरत होती है और हम इसी को ऊर्जा कहते है। तो आइये जानते है कि ऊर्जा क्या है और यह कितने प्रकार की होती है।
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ऊर्जा क्या है और यह कितने प्रकार की होती है?
ऊर्जा को हम ऐसे समझ सकते है कि हमें किसी भी काम को करने के लिए जिस ताकत की आवश्यकता होती है। उसे हम एनर्जी (Energy) कह सकते है। संसार में कोई ऐसा काम नहीं है। जो हम ऊर्जा के बिना कर सकते हो, जैसे कि हर किसी मशीन को चलाने के लिए, भोजन को पकाने के लिए, खेतीबाड़ी में कोई काम और इसके इलावा घर, दफ्तर जा फिर कोई उद्योग हो। हमें हर एक काम को करने के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।
इसके बिना हम अपनी ज़िंदगी को नहीं चला सकते है। हमे अपने हाथ की एक ऊँगली को हलाने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह एनर्जी हमें कहाँ से मिलती है, इसके कौन-कौन से मुख्य साधन हो सकते है और यह कुदरती है फिर मनुष्य के द्वारा पैदा होने वाली।
ऊर्जा दो प्रकार की होती है।
- ऊर्जा का कुदरती रूप (Conventional Sources of Energy)
- ऊर्जा का गैर कुदरती रूप (Non Conventional Sources of Energy)

ऊर्जा का कुदरती रूप (Conventional Sources of Energy)
ऊर्जा के मुख्य तीन ही रवायती स्रोत है। जो के हमें सावधानी के साथ ही इस्तेमाल करने चाहिए। अगर हम इनका यूज़ लापरवाहीं के साथ करेंगे तो इनके ख़तम हो जाने का खतरा बना रहता है। तो आइये जानते है कि यह कौनसे तीन साधन है।
- कोला
- पेट्रोलियम
- कुदरती गैस
- कोला – कोला कई सालों के बाद बनता है। यह एक ठोस पदार्थ होता है जो कि हरे वृक्षों और कई प्रकार के जीव जंतुओं के मर जाने के बाद ही लगभग लाखों-करोड़ों वर्षों के तैयार होता है। यह एक ऊर्जा का कुदरती रूप है जो कुदरत के द्वारा आपसी प्रकिर्या के दौरान बनाया जाता है। लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल होने से यह ख़तम होने दर बना रहता है। भारत में झारखंड, तमिलनाडु, पछमी बंगाल,दामोदर घाटी और महानदी घाटी में सबसे अधिक पाया जाता है।
- पेट्रोलियम – यह भी कोले की तरह ही लाखों वर्षों के बाद ही बनता है। यह तभी पैदा होता है जब धरती के अंदर बड़ी संख्या में जीव जंतु, वृक्ष जो के चटानों के भीतर फास जाता है। यह पृथ्वी की गर्मी के कारण ही बनता है। यह कच्चे तेल का रूप धारण करता है। बाद में इसको कई प्रकिर्या के बाद ही यह पेट्रोल का रूप लेता है। इसके बाद यह पेट्रोल को वाहनों को चलाने के लिए और बहुत सारे कामों में लिया जाता है।
- कुदरती गैस – यह भी कोला और पेट्रोल के जैसे ही तैयार हुई है। यह अलग अलग हाइड्रो-कार्बनों का एक मिश्रण होती है। यह अधिक मात्रा में पेट्रोलियम भंडार के ऊपर ही निर्भर होती है। जब इस गैस को बाहर निकल लिया जाता है तो इसके बाद इसको सिलेंडरों में भर कर स्टोर किया जाता है। इसके बाद यह गैस घर पर खाना बनाने के काम आती है।
यह ऐसे साधन है जो ऊर्जा के कुदरती साधन है लेकिन इनको बनने में बहुत ही अधिक समय लगता है। अगर यह असीमित साधन ख़तम हो जाते है तो हमारा जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जायेगा। क्योंकि इसको बनने में बहुत ही टाइम लगता है, ऐसे में हमें इनके दूसरे सामन्य साधनों को इस्तेमाल में लाना चाहिए।
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ऊर्जा का गैर कुदरती रूप (Non Conventional Sources Of Energy)
जैसे जैसे भारत की आबादी बाद रही है, उसी तरह ही ऊर्जा का भी इस्तेमाल उतना ही होने लगा। है हमें दर है कि कही ऊर्जा के कुदरती साधन जिसमे कोला, पेट्रोल और कुदरती गैस आते है। यह कही ख़तम न हो जाये। इसके लिए हमें ऊर्जा के दूसरे विकलप जिनको हम ऊर्जा के गर कुदरती रूप कह सकते है या फिर ऊर्जा के द्वारा प्रापत किये जाने साधन कह सकते है। यह बहुत ही अधिक मात्रा में पाए जाते है। जैसे कि सूर्य, हवा, पानी, खेतीबाड़ी की बचत और बालन वाली लकड़ी को हम ऊर्जा का दूसरा विकलप बोल सकते है।
जैसे कि सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को हम सूर्य ऊर्जा कहते है। पानी से मिलने वाली ऊर्जा को हम पण-ऊर्जा कहते है। सूर्य एक ऐसा ऊर्जा का कुदरती साधन है जो हमें तब तक सकती देता रहेगा। जब तक कि इस दुनिया पर सूर्य चमकता रेहेगा। यह ऊर्जा हमें अलग अलग तरीकों से मिलती है। जिनमे कि सोलर एनर्जी, सोलर वाटर हीटर, हवाई ऊर्जा आदि।

ऊर्जा के अलग अलग प्रकार के नाम

- सौर ऊर्जा उपकरण (Solar Energy Devices)
- सौर्य जल तापक (Solar Water Heater)
- सौर सेल्स (Solar Cells)
- वायु ऊर्जा (Wind Energy)
- सागर ताप ऊर्जा (Ocean Thermal Energy)
- ज्वारीय ऊर्जा(Tidal Energy)
- जल या पण ऊर्जा (Hydel Energy)
- भू-तापी ऊर्जा (Geothermal Energy)
- परमाणू ऊर्जा (Nuclear Energy)
- जैव पुंज ऊर्जा (Biomass Energy )
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Geothermal Energy In India -भारत में भूतापीय ऊर्जा
मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो के ऊर्जा के बड़े स्रोतों का इस्तेमाल करता है। जिनमे सूर्य जो के ऊपर की तरफ है और दूसरा जो कि निचे की तरफ है। पृथ्वी के नीचे जो चटाने है वह हमें गर्मी प्रदान करती है। हमारे बज़ुर्ग इस भूतापीय ऊर्जा का इस्तेमाल अपने भोजन को बनाने के लिए, नहाने के लिए पानी को गर्म करना यह भूतापीय ऊर्जा के द्वारा ही संभव हुआ है। जो पिघली हुई चटान होती है, जिसे हम मैगमा (Megma) कहते है। जब यह मैगमा पृथ्वी के पास आता हो तो पानी गरम होने लगता है और यह भाफ के रूप में बदल जाता है।
जब यह भाफ तेज वायु के कारण नहर की ओर निकलती है तो इसका उपयोग भाफ से चलने वाली टरबाइनों को चलाने के लिया किया जाता है। यह सभी टर्बनायन बदले में जरनेटरों को चलाती है। जिसके बदले में बिजली पैदा होती है। इसका उपयोग वर्तमान समय के अनुसार लगभग 22 देश बिजली पैदा करने के लिए कर रहे है। भारत में अब तक 340, गरम पानी के चश्मों को खोजा गया है। जिनमें कि मणिकरण और हिमाचल प्रदेश को स्थापित किया गया है। इसका उपयोग लोग जगह को गरम करने के लिए, खुंभ की पैदावार के लिए और मुर्गी पालन के लिए कर रहे है। यह भूतापीय ऊर्जा हर जगह पर उपलब्ध नहीं होती है।
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What is Biomass Energy – बायोमास ऊर्जा क्या है?
बायोमास ऊर्जा नदीन, तेजी से उगने वाले पौदे और जानवरों के मल-मूतर से पैदा होती है। यह सूरज के रोशनी से पैदा होती है। इसक इस्तेमाल अधिक मात्रा में भोजन पकाने के लिए किया जाता है। इससे इसको तरल पदार्थ से गैस में बदला जा सकता है और बालन वाली लकड़ी को हम कोले के रूप में बदल सकते है। जानवरों के गोहे से बायोगैस तैयार की जाती है। यह गैस को बनाने के लिए हमें जानवरों के गोहे को पानी में मिला लिया जाता है और इसे हवा के दबाव नीचे स्टोर किया जाता है। जिसे हम डाइजेस्टर कहते है। हम बायोगैस को अपनी फसल की बचत के साथ भी तैयार कर सकते है।
बायोमास ऊर्जा के लाभ – Biomass Energy Advantages
- बायोगैस का उपयोग साधारण रूप से चलने वाले गैस सिलेंडरों और स्टोवो में की जाती है।
- इसका इस्तेमाल हम गलियों को रोशन करने के लिए कर सकते है।
- इसके बाद जो बायोगैस की बचत रह जाती है, हम इसको खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते है।
- इसकी आवश्यकता हमें छोटे छोटे इंजनों को चलाने के लिए कर सकते है।
- यह हमारे गैस सिलेंडर के खर्चे को कम करता है।
बायोमास ऊर्जा के नुकसान – Biomass Energy disadvantages
- जब हम बायोगैस प्लांट को लगाते है तो हमें इसके लिए बहुत ही अधिक जगह की आवश्यकता होती है।
- यह हर परिवार के योगय नहीं है, क्योंकि इसका खर्चा बहुत अधिक होता है।
- जब यह बायो पदार्थ जलता है तो यह बहुत अधिक मात्रा में कनी सामग्री को निकालता है जो कि वायुमंडल में लटकती रहती है।
- बालन की लकड़ी को प्रापत करने के लिए हर साल बहुत सारे वृक्षों को काटा जाता है। जिसके कारण पृथ्वी में भू -खुरन होता है और बाढ़ की समस्या पैदा होती है।
अंतिम शब्द :
तो दोस्तों, हम अपने आर्टिकल को यही पर ख़तम करते है। हमने आपको इस निबंध के दौरान Conventional and Non conventional Source Of Energy In India के बारे में बताया है। हमने आपको इसके अलग अलग किस्में और उनको विस्तार के साथ पूरा डिटेल में बताया है। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।