हेलो दोस्तों, आपका StudyDev में स्वागत है। आज हम आपको इस पोस्ट में Diwali Essay In Hindi के बारे में बताने वाले है। हम आपको निबंध ऑन दिवाली में आपको यह कब मनाई जाती है, इसका इतिहास क्या है, क्यों मनाई जाती है और इस दिन लोग क्या क्या करते है। हम आपको दिवाली निबंध में सारी जानकारी देने वाले है।
अगर आप भी इसके बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हो तो इस पोस्ट को आखिर तक जरूर पढ़े। ताकि आपको Diwali Essay In Hindi के बारे में कोई भी जानकारी अधूरी न रह सके। तो शुरू करते है दिवाली पर निबंध को।
दीपावली का निबंध हिंदी में प्रस्तावना सहित
हमारा भारत त्योहारों का देश मन जाता है। हर साल हमारे लिए कोई न कोई नया अवसर जरूर लेकर आता है। जब हम पूरी आजादी के साथ नाच, गा और त्योहार को मना सकते है। हमारे देश में हर महीने कोई न कोई त्योहार आता है। लेकिन कुछ समय पर होली, दिवाली और लोहड़ी जैसे त्योहार मनाये जाते है। भारत में दिवाली ही एक ऐसा त्योहार है, जो सबसे जयादा धूम -धाम से मनाया जाता है। ऐसा नहीं है कि बाकी त्यौहार नहीं मनाये जाते। लेकिन दिवाली के साथ बहुत सारा इतिहास जुड़ा हुआ है। जो हमें यह त्योहार मानाने के लिए संबोधित करता है। हम हर साल नवंबर (अस्सू के महीने) में दिवाली को मनाते है। इस समय पर कम सर्दी का प्रकोप नज़र आता है लोग ख़ुशी में आकर पटाखे चलाते और घरों में दीपमाला की जाती है। लोग कुछ दिन पहले ही दिवाली की तैयारी में जुट जाते है। तो आइये जानते दिवाली त्योहार के अर्थ और इसके इतिहास के बारे में।
Table of Contents
दिवाली का क्या मतलब है (Meaning Of Diwali)
दिवाली भारत का सबसे अधिक लोकप्रिय त्योहारों में से एक त्योहार है। इसे हम दिवाली या फिर दीपावली भी बोल सकते है। यह जो “दीपावली” शब्द है यह संस्कृत के दो शब्दों दीप+आवली से मिलकर बना है। दीप का मतलब होता है “दीपक” और आवली शब्द का अर्थ होता है “लाइन”, तो इन दोनों शब्दों का अर्थ हुआ दीपक की एक लाइन होती है।
इसे हम अपने घरों पर दीपावली के दौरान लगते है। दीप को हम “दिया’ भी कहते है। इसका पुरातन कल के दौरान ही इस्तेमाल किया जाता है। लोग इसको अंधेरे को दूर करने के यूज़ करते थे। इस तरह दिवाली के दिन दीप जगा कर हम यह साबित करते है कि हमेशा बुराई के ऊपर अचछाई की जीत होती है।

दिवाली को कब मनाते है (When Do You Celebrate Diwali)
दिवाली सबके लिए कोई न कोई नई उमीद की किरण लेकर आता है। भारत में दिवाली को दशहरे से 20 दिन बाद मनाया जाता है। इससे पहले दश्हरा मनाया जाता है। हम दिवाली को सितंबर से अक्टूबर के बीच के महीनो में मनाते है। यह कार्तिक की अमावश को मनाया जाता है। दिवाली त्योहार की एक और खाशियत यह है कि यह अपने साथ चार त्योहार को लेकर आता है। इस समय पर गर्मी का मौसम ख़तम होता है और सर्दी का मौसम आने वाला होता है। हर तरफ हरियाली होती है, लोग धान की फसल को काट लेते है कुछ लोगों की फसल बच जाती है। यह त्यौहार गुलाबी ठंड का मौसम प्रदान करता है।
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दिवाली का इतिहास (History of Diwali)
दिवाली का त्योहार बहुत ही पुराना है। इसको लोग पुरातन कल से ही मनाते आ रहे है। हर राज्य में इसको मानाने के पीछे कोई अपना इतिहास होता है। लेकिन अधिकतर लोग इसको जब श्री रामचंदर जी 14 साल का बनवास काट कर अपनी पत्नी माता सीता और भरा लक्ष्मण के साथ अयोध्या परते थे। तभी लोगों ने उनके आने की ख़ुशी में देसी घी के दिये जलाये थे। माना जाता है कि उस दिन अमावस्या की काली रात थी जिस कारण बहुत अंधेरा था। इसके करके लोगों ने दीपक को जलाया था। लोगों ने उनके आने की ख़ुशी में फूलों से उनके रास्ते को सजाया था।
इसके पीछे एक और इतिहासिक घटना है। माना जाता है कि सिख इस दिन को इसलिए मानते है। क्योंकि इस दिन सिखों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी जहाँगीर की नज़रबंदी से रिहा होकर आये। वह अपने साथ 52 राजों को भी रिहा करवा लाये थे। जिसके कारण पंजाब में सिखों के द्वारा दिवाली को माने जाता है। कहते है पंजाब में श्री अमृतसर की दिवाली देखने योगय होती है। इसके लिए एक पंक्ति बहुत मशहूर है।
दाल रोटी घर की, दिवाली अमृतसर की।
दिवाली को मनाने की तैयारी (Preparations To Celebrate Diwali)
दिवाली से कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों की साफ सफाई करने लगते है। वह अपने घरों के पुराने रंग को हटाकर उसकी जगह पर न्य रंग करवाते है। दिवाली से पहले आस पास की सभी दुकानें सजी होती है। लोग जब बाज़ारों में जाते है तो वह देखते है कि हर तरफ बाजार की हर दुकान दीपमाला को फूलों से सजी हुई है। जगह जगह पर मिठाइयां और पटाखे की दुकानें होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार पटाखे खरीदते है और उनको चलाते हुए नज़र आते है।

कई लोग इस दिन अपने लिए कोई न कोई न्य बर्तन लेते है। वह इस दिन नए कपडे खरीदते और पहनते है। इस दिन पर पटाखों और मिठाइयां की खूब बिक्री होती है। व्यापारी और दुकानदार इस दिन को अपनी दुकान की अच्छे से सफाई करते है। ऐसा माना जाता है कि लोग अपने घरों जा फिर अपनी दुकानों की इसलिए सफाई करते है, ताकि माता लक्ष्मी उनके घर पर आ सके और उनको आशीर्वाद प्रपात हो सके।
जब दिवाली का दिन आता है तो लोग सुबह ही उठकर सबसे पहलेसनान करते है। वह इस तत्योहार को एक पवित्र त्योहार मानते है। लोग दीपकों को धोते है और इनको सुखाते और शाम को जलाते है। लोग इन दीपकों को श्री गुरुद्वारा साहिब भी लगाकर आते है। लोग घरों में बहुत सारे पकवान बनाते है जिनमे पकोड़े और कुछ मीठी वस्तुए होती है।
इस दिन स्कूल से अवकास होता है। लेकिन स्कूल में पहले ही कमरों की सफाई की जाती है और कमरों में नए चार्ट लगाए जाते है। अधियापक बच्चों को दिवाली के इतिहास और उनसे कहानियाँ सुनते है। अधियापक बच्चों को पटाखों को सावधानी से चलाने और घर पर बनी हुई मिठाई को खाने का सन्देश देते है।
जब शाम हो जाती है तो लोग अपने कमरों के किनारों पर दीप,मोमबत्तियां जलाते है। कई लोग दीपक की जगह पर दीपमाला और रंग बिरंगे बल्बों को जगाते है। जब वह इसे जगाते है तो हर तरफ रोशनी से जगमग हो जाती है। हर तरफ से पटाखे, आतिशबाजी के चलने की आवाजें आती है। बच्चे और बड़ी उम्र के आदमी भी इस दिन पर पटाखे चलते है और ख़ुशी महसूस करते है। कुछ समय बाद लोग जब पटाखे चलाकर थक जाते है। तो अपने घरों पर पाने सारे सदस्य के साथ मिठाई खाते है और माता लक्ष्मी जी पूजा करते है। कुछ लोग इस दिन को नए साल के दिन में मनाते है।
कुछ लोग इस दिन पर जूआ खेलते और शराब पीते है। इसके बाद वह आपस में लड़ते झगड़ते है। ऐसे में हमें इस पवित्र त्योहार पर इन सभी चीजों को छोड़ना चाहिए और नए विचारों को अपनाते है। इस तरह हम दिवाली का त्योहार मना सकते है, हम अपने सके संबंधियों को मिठाई देकर इस त्योहार और भी उत्साह से मना सकते है।
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दिवाली का महत्व (Importance of Diwali)

दिवाली को भारत में सबसे अधिक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को हर वर्ग, जात और धर्म के लोग मानते हुए नज़र आते है। इस दिन का सबके लिए अपना अपना महत्व होता है। यह त्योहार हिन्दू धर्म का सबसे अधिक पूजनीय त्यौहार है। इसलिए इसके साथ हर किसी की अपनी आस्था जुडी होती है। तो जानते इसके सामाजिक, आर्थिक, इतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
इस दिन को हर कोई बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। क्योंकि यह बहुत सारी इतिहासिक घटनों से जुड़ा हुआ है। इस दिन को हिन्दू, सिख, जैन अदि धर्म के लोग मनाते है। उनकी इसके लिए अपनी आस्था होती है। इस तरह से यह त्यौहार का अपना आध्यात्मिक महत्व है।
इस त्योहार को लोग मिल जुलकर बिना किसी भेदभाव के मनाते है। वह अपने घरों पर माता लक्ष्मी की पूजा करते है। लोग एक दूसरे को मिलने के लिए जाते है। जिसके कारण उनके बीच सामाजिक भावना बढ़ती है। लोग एक दूसरे को मिठाई देते है और एक दूसरे के गले मिलकर अपने सारे पुराने लड़ाई झगड़े को ख़तम करते है। इस तरह यह त्योहार सामाजिक पहलु से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस दिन लोग खूब सारे सामान को खरीदते है जिनमे नये कपडे, बर्तन इलावा वह सोना-चांदी को भी खरीदते है। वह ऐसा मानते है कि इस दिन पर सामान खरीदने से पैसे की कोई भी कमी नहीं होती है। इस लिए लोग इस दिन सामान को जयादा से जयादा खरीदते है। इस समय पर सामान सस्ता भी होता है। यह त्योहार किसानो के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है। क्योंकि इस वक़्त फसल पक जाती है और किसान अपनी फसल को काटकर उससे अधिक मुनाफा लेकर दिवाली को मानते है। इस लिए इसका आर्थिक महत्व भी है।
यह दिन अपने पीछे बहुत बड़ा इतिहास को समोहे बैठा हुआ है। इस दिन पर श्री राम जी 14 साल का बनवास काटकर अयोधिया वापस आये थे। जिसके कारण लोगों ने उनके आने की ख़ुशी में दिये जलाये थे। इसका एक और महत्व है इस दिन सिखों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी जहाँगीर की जेल से रिहा होकर आये थे। इसलिए सिख इस त्योहार को मानते है। इस दिन ही महामीर स्वामी को मोक्ष की प्रापति हुई थी। इसके कारण ही इस त्योहार का इतिहासिक महत्व जयादा है।
अंतिम शब्द दिवाली निबंध पर :
तो दोस्तों, हम अपना यह आर्टिकल यहाँ पर ही समापत करते है ,आज हमने आपको Diwali Essay In Hindi के बारे में बताया है। हमने आपको इस दिवाली निबंध में इसके इतिहास, इसके मनाये जाने का कारण, इसका क्या अर्थ है और इसका क्या महत्व है। हमने आपको यह सारी जानकारी देने की कोशिश की है। हम आशा करते है के आपको यह Essay On Diwali In Hindi जरूर पसंद आया होगा। तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें।
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