हेलो दोस्तों, आपका Studydev में स्वागत है। आज हम आपको प्रदुषण के एक और भाग यानिकि वाटर पोल्लुशण के बारे में बताने वाले है, कि वाटर प्रदूषण कैसे फैलता है। इसे कैसे रोका जा सकता है, इसके क्या कारण और इसके क्या-क्या नुक्सान हो सकते है।
तो हम आपको इस आर्टिकल में शुरू से लेकर एन्ड तक सारी जानकारी देने वाले है। तो अगर आप वाटर पोल्लुशण के बारे जानना चाहते हो तो इस आर्टिकल को आखिर तक जरूर पड़े।
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What is water pollution? जल प्रदूषण क्या है?
प्रदूषण क्या है – प्रदूषण एक तरह का पोल्लुशण एक तरह का अनचाहा बदलाव होता है, जो के हमारे पर्यावरण में देखने को मिलता है। यह हमारे जीवन और वातावरण को ख़राब कर देता है। यह कई तरह का होता है। प्रदूषण दो तरह से फैलता है। एक कारण इसका मनुष्य हो सकता है और दूसरा कुदरती हो सकता है।
जल प्रदूषण – जब भी ताजे पानी में कोई भी बाहरला घटक दाखिल होता है, जिससे कि पीने वाला पानी को नुक्सान होता है। इसे हम वाटर पोल्लुशण या फिर जल प्रदूषण भी कह सकते है। यह जल प्रदूषण कई तरह से हो सकता है। इसके बाद ताजा पानी जो पीने के लिए शुद्ध माना जाता है, वह पीने के सामान नहीं रहता।
हमारी धरती की सतह का लगभग 71 फीसदी हिस्सा पानी के द्वारा ही घिरा हुआ है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हो कि हमारे जीवन में पानी की कितनी महत्तता है। हमें इसे दूषित करने से बचना चाहिए। तो आइये देखते है कि जल प्रदूषण किन -किन कारणों से हो सकता है।

जल प्रदूषण के कारण : (What is water pollution)
जल प्रदूषण के कई कारण हो सकते है, लेकिन हम आपको आज इस पोस्ट में कुछ महत्वपूर्ण कारणों के बारे में बताने वाले है जो कि वाटर पोल्लुशण करने में अपना योगदान देते। है
- ठोस कचरा – ठोस कचरा एक तरह का सख्त पदार्थ होता है, जिसे हम आसानी से गला नहीं सकते और यह जब पानी में मिलता है तो यह पानी को गंदला कर देता है। जिससे पीने वाला पानी दूषित हो जाता है। यह कचरा जयादातर बड़े बड़े शहरों में पाया जाता है। इसको पानी में फेंक दिया जाता है। यह कचरा कभी भी गलता नहीं है और ताजे पानी को ख़राब कर देता है।
- खेतीबाड़ी उपयोग – जल पदूषण का एक मुख्य कारण खेतीबाड़ी प्रकिर्या भी है। क्योंकि पीने के बाद जयादातर पानी का उपयोग खेतीबाड़ी सिंचाई करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब भी खेतों में फसलों पर कीटनाशकों की वरतो करते है तभी यह जहरीले कण धरती के मुसामों में से गुजर कर जमीन के नीचे के पानी को प्रदूषित करते है। और यह कीटनाशकों वाला पानी वहकर नदियों, दरिया और समुंदरों में दाखिल हो जाता है। जिससे यह पानी भी पीने के योगय नहीं रहता।
- उद्योगिक नाले – आपको बतादें, की सभी कारखानों में अपने कचरे को सँभालने के लिए कोई भी अच्छा प्रबंध नहीं होता। जिसके कारण वह अपने कारखानों में पैदा किये गए, सभी तरह केकचरे जिसमे तरल और ठोस दोनों तरह का कूड़ा शामिल होता है। जो भी यह कचरा होता है, उसे दरिया और दूसरे जल स्रोतों में फेंक दिया जाता है। इसके इलावा ठोस कचरे को सीधा ही पानी में फेंक दिया जाता है या फिर खुले मैदानों में इस कूड़े डाल दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषण होता है।
- जैवी कूड़ा – करकट – यह कूड़ा आम तौर पर मरे हुए जानवरों और हस्पतालों का कचरा होता है। जिससे ताज़े पानी या नदियों में फेक दिया जाता है। यह सबसे बड़ा कारण है, जल प्रदूषण होने का। यह प्रदूषित जल पीकर बहुत सारे जानलेवा रोग लग जाते है। जिससे छुटकारा पाना मुश्किल है।
- सीवरेज पानी – जब भी सीवरेज का पानी का ताज़े पानी में मिलता है। तो यह पानी प्रदूषित हो जाता है। जब भी किसी सीवरेज का दक्कन खुला रहता है और इसके नजदीक से कोई भी पीने वाले पानी का भंडार होता है। और यह सीवरेज का पानी बरसातों के दिनों में इस शुद्ध जल में प्रवेश कर जाता है। जिसके कारण जल प्रदूषण होता है।
- प्लास्टिक बैग का उपयोग – यह प्रदूषण का मुख्य कारण हो सकता हो है, चाहे फिर वह जल प्रदूषण हो या फिर भूमि प्रदूषण हो। जब भी बच्चे जो कुरकुरे खाते है, तब वह इन प्लास्टिक के लिफाफों को वही पर वगाह देते है। जिसके कारण यह बरसात के दिनों के दौरान यही लिफाफे पानी में मिल जाते है। आपको पता होगा कि प्लास्टिक कभी भी गलता नहीं है।

जल प्रदूषण को कम करने के 10 तरीके : (What is water pollution)
जल हमारे जीवन का एक अनमोल साधन है। हम इसके बिना एक पल भी नहीं रह सकते, तो हमें जल की इसी उपयोगता को समझते हुए इसको प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। आइये जानते है 10 Ways To Reduce Water Pollution कौन-कौन से है।

- प्लास्टिक का उपयोग कम करना – हमें जल प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना होगा। क्योंकि यह कभी भी गलता नहीं है और सदियों तक प्रदूषण करता रहता है।
- दुबारा इस्तेमाल होने वाली वस्तु का उपयोग करना – पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए हमें ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसका हम एक उपयोग करने के बाद इसे फेकना न पड़े। अगर हम इसको ही दुबारा वरतो में लायेगे तो सभी तरह का प्रदूषण कम हो सकता है।
- कीटनाशकों इस्तेमाल काम करना – हमें पता है कि फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह कीड़ेमार दवाई ताजे पानी में मिलने के बाद उसे भी जहरीला बना देती है। इस लिए हमें फसलों पर जरूरत के अनुसार ही छिडकाव करना चाहिए। ताकि जल प्रदूषण को रोका जा सके।
- उद्योगों में ठोस सामग्री का सही प्रबंधन होना – आपको पता होगा कि सारे उद्योगों में ठोस और तरल सामग्री को इक्कठा करना संभव नहीं होता। इसलिए वह इस कूड़े करकट को ठिकाने लगाने के इसे जल भंडारों में फेक देते है। जिसके फलसरूप जल प्रदूषण उपजता है। अगर कारखानों में इस कचरे का उचित प्रबंधन हो तो यह सामग्री पानी में न मिले।
- रिसाइकिल करने योग्य विकल्प – हर एक काम को करने के लिए दो विकल्प होते है। इसी तरह हमारे पास भी प्लास्टिक और कांच की बोतलों में से एक को चुनना चाहिए। मैं आपको कहता हूँ कि आप कांच की बोतल का सेवन करे। इसे फेकना नहीं पड़ता और यह पर्यायवरण के लिए फायदेमंद भी है।
- रसायन को संभालना – हमें सभी तरह के रसायन को उचित तरीके से निपटना चाहिए , हमें इन रसायन को जैसे बलीच, पेंट और कई तरह के जहरीले पदार्थों को नाली में नहीं फेंकना चाहिए। इसके लिए हमें पुनर्चक्रण केंद्र सहारा लेना चाहिए, जो कि सभी तरह के पुराने पेंट और मोटर आयल को दुबारा इस्तेमाल करने के योगय बना देते है। इससे हम जल प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दे सकते है।
- दवाईओं को न फेंके – हमें कभी भी पानी में किसी भी तरह की दवाई को नहीं फेंकना चाहिए। इससे हमारा जल प्रदूषित होता और जो पानी के अंदर जीव रहते है उनके लिए यह बहुत ही नुकसानदेह हो सकती है। हमें इसे धरती में ही ख़तम करना चाहिए।
- सीवरेज का सही प्रबंधन – अगर सीवरेज का सही प्रबंध किया जाये तो यह कभी भी पीने वाले पानी में नहीं मिलेगा। अगर इसको सही तरीके से बंद किया जाये तो हम जल को प्रदूषित होने से बचा सकते है।
- मौत के बाद अर्थियां पानी में न फेकना – यह एक बहुत ही पुराना रिवाज है। लेकिन हमें इस विचारधारा को बदलने की जरूरत है। इससे पानी में बहुत ही जयादा प्रदूषण होता है। क्योंकि इसमें सुवाह और हड्डियाँ होती है।
- मरे हुए पशुओं को पानी में न फेंकना – हमें कभी भी मरे हुए पशुओं को पानी में नहीं डालना चाहिए। अगर आप किसी को ऐसा काम करते हुए देखते हो तो उसकी शिकायत नजदीकी जल विभाग को करनी चाहिए। इससे आप भी जल प्रदूषण को रोकने में अपना अहम योगदान पा सकते हो।
Pollution के प्रति लोगों के सवाल :
Q.1. How do Trees Reduce Pollution? पेड़ कैसे कम करते हैं प्रदूषण?
Ans. अगर बात करे कि वृक्ष कैसे प्रदूषण को कम करते है, तो इसका मतलब यह है पेड़ हवा को साफ करते है और हमें ऑक्सीजन देते है और कार्बनडाइऑक्साइड हमसे लेते है। जो नीम का पेड़ होता है वह सबसे ज्यादा प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देता है। इस लिए नीम के पेड़ दवाई का राज कहा जाता है।
Q.2. Sugar Factory Se Kon Kon Se Pollution Hota Hai?
Ans. शुगर की फैक्टरी से अनेक तरह का प्रदूषण होता है। लेकिन आज हम आपको शुगर फैक्टरी में होने वाले प्रदूषण जो के चीनी मिल्लों की चिमनियों से होता है। जिस जगह पर शुगर मिल होती है, उस जगह के लोग छाई व बैगास से प्रदूषण से परेशान होते है और लोग जब अपने कपड़ो को बाहर सुखाते है तो छाई से उनके सारे कपड़े ख़राब हो जाते है। लोग इसी डर के कारण गर्मियों के दिनों में घरों की छत्तों पर नहीं सोते है।
Q.3. Air Pollution Me Maks Kyu Phante Hai? हवा पोल्लुशण में माक्स क्यों पहनते है ?
Ans. वायु प्रदूषण में लोग इस लिए माक्स पहनते है ताकि जो हवा में उपलब्ध प्रदूषण उनके मुँह के रास्ते उनके शरीर में दाखिल न हो सके। यह जो वायु प्रदूषण में घटक शामिल होते है, यह हमारे फेफड़ों और आँखों के लिए भी ख़तरनाक साबित हो रहा है। माक्स पहने का एक कारण करोना महामारी से बचने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
Q.4. Pollution Paida Karne Wali Cheez Ko Kya Kahte Hai? प्रदूषण पैदा करने वाली चीज़ को क्या कहते है ?
Ans. पोल्लुशण पैदा करने वाली चीज़ को हम “प्रदूषक” (Pollutant) कहते है। यह प्रदूषक मुख्य तौर पर तीन प्रकार के होते है। जिनमें भौतिक, रासायनिक और जैविक किस्म का होता है। यह मनुष्य और जीवों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाता है।
Q.5. Bharat Ke Kis Shahar Mein Sabse Jyada Sound Pollution Hota hai?
Ans. भारत के चेन्नई शहर में सबसे जयादा शोर प्रदूषण ( Sound Pollution ) पाया जाता है। इसमें लगभग शोर का औसतन सत्तर 67.8 डेसिबल (Decibels) है। जब की दिल्ली में लगभग साउंड औसतन 61 डेसिबल (Decibels) है। यह सारी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दी है। जिसका काम देश के मुख्य शहरों में धुनि प्रदूषण को चेक करना होता है।
Q.6. Arunachal Pradesh Me Kitna Pollution Paya Jata? अरुणाचल प्रदेश में कितना प्रदूषण है ?
Ans. आपको बतादे कि अरुणाचल प्रदेश में प्रदूषण की मात्रा बहुत जयादा है। वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में 1,383,727 लोग प्रदूषण से परेशान हो रहे है। वह ऐसी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है। यह डब्ल्यूएचओ के निर्देशों को पूरा नहीं कर रहा है। अरुणाचल पप्रदेश का एक जिला है, जिसका नाम तिरप है।
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